दीपक तोमर महेश्वर दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
महेश्वर ।अभाविप ने निकाली लोकमाता अहिल्या बाई जी की 300वीं जन्म शताब्दी पर मानवंदना यात्रा।महेश्वर से गोरखपुर 1307 किलोमीटर जाएगी यह यात्रा
पूरे मार्ग पर अभाविप कार्यकर्ता करेंगे स्वागत मंचीय कार्यक्रम। आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने महेश्वर में नर्मदा नदी के तट पर पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर जी की राजगद्दी का पूजन कर मानवंदना यात्रा का शुभारंभ किया। इस यात्रा के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री कु.शालिनी वर्मा, मुख्य वक्त श्री मति माला ठाकुर अखिल भारतीय सचिव लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति, अभाविप मालवा प्रांत मंत्री कु. राधिका सिंह सिकरवार उपस्थित रहीं। इस यात्रा में माता अहिल्याबाई जी के जन्मस्थान चोंडी,महाराष्ट्र की मिट्टी भी शामिल की गई है। अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री कु.शालिनी वर्मा ने बताया कि आज हम समाज में जितनी भी व्यवस्थाएं देख रहे है वो एक महिला ने की है वो अपने पति के निधन के पश्चात्
घाट,मंदिर, धर्मशालाओं के निर्माण के माध्यम से अहिल्याबाई होलकर जी ने दक्षिण को उत्तर से जोड़ते हुए एकात्मता को बनाएं रखा है पुण्य श्लोक अहिल्याबाई होलकर जी ने मालवा में काम करते हुए विचार अखिल भारतीय रखा। किंतु फिर भी यह देख का दुर्भाग्य है कि सिलेबस में हमको अहिल्या बाई के बारे में नहीं पढ़ाया गया । परिषद् ने अपने 75 वर्ष के इतिहास में कई प्रकार की यात्राएं निकाली है जिसके परिणाम आज हमको समाज में दिखाई पड़ते है फिर चाहे वह कश्मीर चलो यात्रा हो,सद्भावना यात्रा हो। राष्ट्रीय पुनः निर्माण के मार्ग को अनेक यात्राओं से जोड़कर आज परिषद् ध्येय यात्रा के पथ पर आगे बढ़ रही है। पुण्य श्लोक अहिल्याबाई होलकर जी के जीवन के मूल्यों को समाज तक ले जाने के मानवंदना यात्रा 1307 KM तक निकालना ऐसा साहस छात्र संगठन में केवल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ही रख सकती है । निश्चित रूप से अभाविप की यह मानवंदना यात्रा महिला सशक्तिकरण, स्वशासन, भारत की सांस्कृतिक चेतना के पुनरूत्थान हेतु प्रयासों को जनसामान्य तक पहुंचाएगी ।
मुख्यवक्ता श्री मति माला ठाकुर अखिल भारतीय सचिव लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति ने बताया कि अहिल्याबाई का पूरा जीवन संसार के लिये एक उदाहरण है। उनका व्यक्तित्व सामान्य से बहुत अलग है, विशिष्ट है। अपनी विशिष्टता के कारण ही वे जन सामान्य में सर्व सम्मानीय बनीं। भारत के हर क्षेत्र में राज परिवार रहे हैं और महारानियाँ भी हुई हैं। लेकिन जो सम्मान अहिल्याबाई को मिला उतना सब को नहीं उन्हें किसी दरबारी ने नहीं, जन सामान्य ने लोकमाता कहकर पुकारा। सम्मान की इस ऊँचाई पर वे अपने व्यक्तित्व और कर्म कर्त्तव्य के आधार पर पहुँची। वे स्वयं अपनी प्रतिभा की दम पर पहचानी गई। उनका जन्म किसी प्रतिष्ठित या समाज में संपन्न परिवार में नहीं हुआ था साधारण सैनिक परिवार में जन्मीं थीं। आठ वर्ष की बालवय आयु किसी भी बच्चे की खेलने कूदने की होती है। लेकिन अहिल्याबाई इस आयु में भी अपने समवयस्क बच्चों का समन्वय करना सीख गई थीं। यह विचारणीय है कि उनमें यह क्षमता कैसे आई। इसका उत्तर उनके जीवनवृत्त समझने से ही मिल जाता है। निसंदेह वे विलक्षण प्रतिभा लेकर ही संसार में आईं थीं। उनका संबंध दो परिवारों से। एक जिस परिवार में उन्होंने जन्म लिया। और दूसरा वह परिवार जिसमें बहू बनकर गईं। उनकी प्रतिभा को विकसित आकार देने में इन दोनों परिवारों के वातावरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। वही बीज अपनी विशिष्टता के अनुरूप विशाल आकार लेता है जिसको उचित वातावरण और खाद पानी मिलता है। अहिल्याबाई को दोनों परिवारों में ऐसा वातावरण मिला जिसमें उनका व्यक्तित्व, उनके जीवन का संघर्ष हर युग में प्रेरणादायक बना।अभाविप की प्रांत मंत्री ने यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर के जन्मत्रिशताब्दी के अवसर पर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले स्थित महेश्वर से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक 13 से 21 नवंबर तक ‘मानवंदना रथ यात्रा’ निकाली जा रही है। इस यात्रा के माध्यम से लोकमाता अहिल्याबाई होलकर द्वारा महिला सशक्तिकरण, स्वशासन, भारत की सांस्कृतिक चेतना के पुनरूत्थान हेतु प्रयासों को जनसामान्य तक पहुंचाया जाएगा। यह यात्रा 13 नवंबर को मध्य प्रदेश के महेश्वर से शुरू होकर इंदौर, उज्जैन, भोपाल, विदिशा, रीवा, प्रयागराज, अयोध्या होते हुए 21 नवंबर को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर पहुंचेगी।
अभाविप की ‘मानवंदना यात्रा’ के रथ को अहिल्याबाई होलकर की राजधानी महेश्वर का स्वरूप दिया गया है, जिसमें लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की मूर्ति स्थापित की गई है। यात्रा के दौरान विभिन्न स्थलों पर संगोष्ठी, संवाद, प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाएंगे और पत्रक के माध्यम से अहिल्याबाई होलकर के जीवन से लोगों को अवगत कराया जाएगा। यह यात्रा 21 नवंबर को गोरखपुर पहुंचेगी, गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 70 वां राष्ट्रीय अधिवेशन 22-24 नवंबर आयोजित हो रहा है।