भूपेंद्र सिंह दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
रीवा-सदियों से यह रीति चलती आ रही है की लोग अपने हक के लिए अनशन आंदोलन और धरना का रास्ता अपनाते है। लेकिन इसके नाम पर सिरमौर क्षेत्र में इन दिनों एक नौटंकी चल रही है जिसका सूत्रधार एक छुटभैया नेता को माना जा रहा है। आदिवासियों को अपना मोहरा बनाकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ कर राजनीतिक रोटी सेंकी जा रही है। अधिवक्ताओं के साथ सैकड़ाभर ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव करते हुए एसडीएम को अपना मांगपत्र सौंपा है। ग्रामीणों ने अपने लिखित मांगपत्र में बताया है की विष्णुकांत कुशवाहा पिता जगदीश कुशवाहा द्वारा कूटरचित तरीके से फर्जी प्रलोभन देकर धनपत कोल पिता मुरलवा कोल को आगे कर नाजायज तरीके से सम्भ्रांत व्यक्तियों के पर अभद्र टिप्पणी एवं मिथ्या आरोप लगाया जा रहा है। ग्राम सिरमौर के वार्ड क्र० 7 स्थित आराजी खसरा क्र0 2611/1/1 रकवा 0.057 हे० एवं 2611/1/2 रकवा 0.072 हे० को क्रेता चन्द्रप्रकाश पाण्डेय द्वारा विक्रेता को विक्रीत मूल्य की सम्पूर्ण राशि देकर विक्रय पत्र निष्पादित कराया गया था। उक्त विक्रय पत्र निष्पादन के उपरांत विष्णुकांत कुशवाहा द्वारा विक्रेता को तरह-तरह की धमकी एवं फर्जी मुकदमा में फंसाने का प्रयास किया जाता रहा एवं माननीय व्यवहार न्यायालय में शिवशंकर कुशवाहा एवं उनके भाईयों का सहारा लेकर व्यवहारवाद दायर किया गया, जो वर्तमान में विचाराधीन है। विष्णुकांत कुशवाहा द्वारा उक्त भूमि को हड़पने की नियत से धनपत कोल को प्रलोभन देकर सिरमौर थाने में फर्जी रिपोर्ट लिखाई गई एवं धनपत कोल को विष्णुकांत कुशवाहा द्वारा यह भी उकसाकर कहा जाने लगा कि तुम जहर खाकर मर जाओ। जिसकी जानकारी धनपत कोल द्वारा थाना सिरमौर में दिए कथन पर व्यक्त की गई इसी वजह से सिरमौर पुलिस द्वारा विष्णुकांत कुशवाहा के ऊपर 107, 116 (3) जाप्ता फौजदारी की कायमी की गई, फिर भी उक्त आपराधिक किस्म के व्यक्ति द्वारा अपनी उक्त मानसिकता को आगे उजागर करते हुये धनपत कोल के माध्यम से ग्राम सिरमौर स्थित आराजी खसरा क्र0 1437 रकवा 0.053 हे० के सम्बन्ध में पूर्व में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व/अनुविभागीय अधिकारी पुलिस के समक्ष झूंठी शिकायत की गई। जबकि उक्त भूमि के धनपत कोल या उसके पूर्वज कभी भी भूमिस्वामी नहीं थे। विष्णुकांत कुशवाहा के फर्जी प्रलोभन में आकर धनपत कोल द्वारा कई बार झूठी शिकायतें की गई हैं साथ ही उक्त भूमि से सम्बन्धित प्रकरण भी माननीय व्यवहार न्यायालय सिरमौर में विचाराधीन है। धनपत कोल को मोहरा बनाकर विष्णुकांत कुशवाहा द्वारा बगैर अनुमति अवैधानिक तरीके से जनपद कार्यालय सिरमौर में एसडीएम कार्यालय के सामने टेंट चोंगा लगाकर भूख हड़ताल का पोस्टर बैनर लगाकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। भूमि खसरा क्र0 1437 के सम्बन्ध में पूर्व भूमिस्वामी मन्धीर कोटवार द्वारा तहसील न्यायालय से जो वारिसाना नामान्तरण की कार्यवाही कराई गई थी उस पर संलग्न सजरा वंश वृक्ष के सम्बन्ध में फर्जी मुकदमा लगाये जाने की मांग की जा रही है। मन्धीर कोटवार के निकटतम किसी भी हितबद्ध व्यक्ति द्वारा उक्त सजरा वंश वृक्ष के सम्बन्ध में किसी भी सक्षम न्यायालय में चुनौती नहीं दी गई है। विष्णुकांत कुशवाहा जो स्वतः आपराधिक किस्म का व्यक्ति है उसके द्वारा ग्राम सिरमौर में कई आदिवासियों की भूमि को हड़पने का प्रयास पूर्व में किया गया है। अपने निजी राजनैतिक लाभ हेतु मध्यप्रदेश शासन की वन भूमि पर हरिजन एवं आदिवासियों को पट्टा दिलवाने का प्रलोभन देकर उक्त अवैधानिक कार्य किया जा रहा है जबकि वन भूमि का पट्टा दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। जिस कारण उक्त मामले में न्यायायिक जांच कराई जाए। अधिवक्ताओं के साथ एसडीएम कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने कहा की माननीय व्यवहार न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के उपरांत भी विष्णुकांत कुशवाहा एवं धनपत कोल द्वारा किए जा रहे विधि विरुद्ध कार्य के सम्बन्ध में दण्डात्मक एवं न्यायिक कार्यवाही की जाए। मांगपत्र सौंपने वालों में प्रमुख रूप से चन्द्रप्रकाश पाण्डेय,विनय कुमार मिश्रा,मन्धीर कोटवार,आलोक पाण्डेय,शैलेंद्र द्विवेदी व अनिल तिवारी समेत सैकड़ो ग्रामीणजन शामिल रहे।