आशीष शर्मा दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
सनावद :– संतों की सेवा अग्रणी त्यागियों की नगरी सनावद में परम पूज्य आचार्य श्री 108सुन्दर सागर जी सागरजी महाराज की आज्ञानुवर्ती शिष्या आर्यिका 105 सुनयनमति माताजी
ससंघ मंगल प्रवेश नगर में हुवा ।सन्मति काका ने बताया की इंदौर में चातुर्मासरत आर्यिका माताजी श्री सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट के यात्रा कर नगर में पधारी जहा सभी समाजजनों ने प्रातः 8.30 बजे ओंकारेश्वर रोड रेल्वे गेट पर पहुंच कर आर्यिका संघ की आगवानी की इस अवसर पर सभी समाजजन जुलुश के रूप में श्री सुपार्श्वनाथ मंदिर एवं श्री पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में पहुंचे जहा महिलाओं ने सिर पर कलश रख कर आर्यिका संघ की आगवानी की। तत्पश्चात बड़े मंदिर जी के हाल में समाजजनों को संबोधित करते हुवे आर्यिका माताजी ने कहा की सनावद नगरी महा संयमी नगरी है जहां से 18 साधु बने हैं ये कोई छोटी बात नहीं है। नगर का सबसे बड़ा सौभाग्य तो यह हे की जो चारित्र में वर्धमान है ज्ञान में वर्धमान है वात्सल्य में वर्धमान है और जो समाधि करवाने में भी दक्ष हैं । शास्त्रों में उल्लेख है की वयोवृद्ध तीन प्रकार के होते हे पहला होता हे ज्ञान वृद्ध दूसरे होते हे तप वृद्ध ओर तीसरे होते हे वयोवृद्ध ये तीनों प्रकार की उपाधियों से अलंकृत हे वो ज्ञान तप चरित्र से तपे ऐसे वर्धमान सागर जी महाराज की जन्म नगरी सनावद को होना बहुत ही गर्व की बात है। यह नगर धर्म के क्षेत्र में बहुत ही वर्धमान होना चाहिए हम ऐसी भावना हम भाते हैं।
आर्यिका माताजी के द्वारा शाम में धार्मिक क्लास एवं आचार्य भक्ति गुरुभक्ति आरती एवम प्रश्न मंच आयोजित किये गए। आर्यिका माताजी के द्वारा प्रतिदिन प्रातः8.30बजे से इष्टोपदेश ग्रंथ की क्लास ले जायेगी इस अवशर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।