ग्वालियर यानी अष्टमी और नवमी पर व्रत रखने वाले 11 अक्तूबर को ही व्रत रख सकते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी 11 अक्टूबर को है। इस दिन संधि पूजा भी की जाएगी। इस साल 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इसका समापन 11 अक्तूबर को महानवमी पर होगा। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन भी किया जाता है। मान्यता है कि कन्या जिमाने से जीवन में भय ,विघ्न और शत्रुओं का नाश होता है, और समाज में भी नारी शक्ति को सम्मान मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है। उनको भोजन कराने से मां देवी प्रसन्न होती हैं।
पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12.31 से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर को दोपहर 12.06 पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।ऐसे में अष्टमी-नवमी एक दिन मनाई जा रही है।ऐसे में आप 11 अक्तूबर को मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा भी कर सकते हैं। इस दौरान अष्टमी को कन्या पूजन करने वाले लोग 11 अक्तूबर को दोपहर 12.06 तक कन्या खिला सकते हैं। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। ऐसे में दोपहर 12.06 के बाद से नवमी के दिन व्रत का पारण करने वाले लोग कन्या पूजन कर सकते हैं।
*कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त*
कन्या पूजन के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:41 बजे से 05:30 बजे तक है। इस दिन सुबह मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। इस दौरान सुकर्मा योग बना रहेगा। परंतु सुबह में 06:20 बजे से 10:41 बजे तक का समय पूजा के लिए शुभ है। वहीं सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:08 बजे के बीच राहुकाल है।
*कन्या पूजन करने की विधि*
नवरात्रि में कन्याओं का पूजन करने के लिए सबसे पहले जल से उनके पैर धोएं। फिर साफ आसन पर उन्हें बैठाएं। इसके बाद खीर, पूरी, चने, हलवा आदि सात्विक भोजन की एक थाली तैयार करें। अब थाली माता के दरबार में रखें और भोग लगाएं। इसके बाद सभी कन्याओं को टीका लगाएं और उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें। उन्हें लाल चुनरी पहनाये, फिर उन्हें भोजन कराएं। अब उनकी थाली में फल और दक्षिणा रख दें। सभी कन्याओं को श्रद्धा अनुसार गिफ्ट दे तथा अंत में उनका आशीर्वाद लें।
