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एहसासों की नर्म दूब का वर्ल्ड बुक फेयर में हुआ भव्य गरिमा पूर्ण विमोचन

एहसासों की नर्म दूब का वर्ल्ड बुक फेयर में हुआ भव्य गरिमा पूर्ण विमोचन

 

केसरिया हिन्दुस्तान मोहित यादव लव

 

पद्म श्री डॉ अशोक चक्रधर ने विमोचित संग्रह को अपने कर कमलों से किया प्रदर्शित

 

नई दिल्ली/एटा नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम के विराट भवन 52 वें वर्ल्ड बुक फेयर “विश्व पुस्तक मेला में जिज्ञासा प्रकाशन के पटल पर एटा के सीनियर जर्नलिस्ट राजू उपाध्याय की किताब “एहसासों की नर्म दूब* का विमोचन उत्साह पूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। विमोचन के दौरान उस समय और अधिक गरिमा मिली जब देश के मूर्धन्य साहित्यक विद्वान पत्रकारिता विभाग के पूर्व प्रोफेसर/केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष पद्मश्री डा अशोक चक्रधर की सहज स्नेहिल उपलब्धता प्राप्त हुई।

उन्होंने जर्नलिस्ट राजू उपाध्याय की नवीनतम कृति की प्रति अपने कर कमलो में लेकर प्रदर्शित करते हुए विमोचन की शुभकामनाएं दी। उक्त संग्रह को लॉन्च करते हुए गाजियाबाद के प्रख्यात शायर मित्र गाजियाबादी ने कहा ” राजू उपाध्याय के संग्रह की रचनाओं में अनुभूतियों का सुकोमल स्पंदन है जो गहरे एहसासों की नर्म दूब के रूप में प्रतिबिंबित हुआ है। रचनाएं पेशेगत जीवन से इतर प्रेम के सशक्त स्वरूप को रुपायित करती हैं।इस अवसर पर ग्रेटर नोएडा की साहित्य लेखिका सीमा राय ने कहा-संग्रह अपने आकर्षक शीर्षक के रूप में पाठकों को लुभाएगा प्रथम दृष्टया संग्रह की रचनाएं प्रेम के ऊंचे आयाम को छूती हैं।” ग्वालियर विश्व विद्यालय के प्रोफेसर डॉ टी पी सिंह ने संग्रह की कृति पर बोलते हुए कहा-” संग्रह की रचनाएं जीवन की जद्दोजहद में डूबे उदास मन का असरदार इलाज करती प्रतीत होती हैं वह भी उच्च मानदंड के प्रेमिल भाव बिंबों से” इस अवसर पर संग्रह के कृतिकार /पत्रकार राजू उपाध्याय ने कहा-संग्रह का कविताई सृजन पत्रकारिता जीवन में विसंगतियों से जूझते पत्रकार को सुकून की छांव बन कर तरोताजा करता है, जो स्वान्त सुखाय भाव बोध से लिखीं गई परन्तु सामाजिक देश काल के बोध के स्वर भी उत्पन्न हुए हैं, जो संवेदनशील मन की थाती हैं। संग्रह में कुल 76 रचनाएं हैं 137 पृष्ठ हैं।जिनमें हिंदी गजलों गीत सहित छंद मुक्त रचनाएं शामिल है। पाठक किस दृष्टि बोध से देखते है यह उन पर निर्भर करेगा।” पुस्तक की भूमिका जम्मू कश्मीर स्टेट एजुकेशन डिपार्टमेंट की पूर्व प्रवक्ता उषा बक्शी ने लिखी है। मुंबई महाराष्ट्र की लेखिका पूनम सलूजा,एवं आगरा की कवयित्री/लेखिका अल्पना शर्मा ने गहराई से प्रतिक्रियात्मक लेख पुस्तक में प्रस्तुत किए हैं। उक्त कार्यक्रम में जिज्ञासा प्रकाशन की मैनेजिंग डायरेक्टर जिज्ञासा मौजूद रही उन्होंने सभी आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर दिल्ली के जर्नलिस्ट अनिल गुप्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय ग्रामीण पत्रकार ट्रस्ट ,हिमांशु शर्मा (वेब क्योर कंपनी के मैनेजर),मयंक गुप्ता श्रीमती नूतन उपाध्याय,संकल्प उपाध्याय,अंकुर पाठक उत्तराखंड शाजिया शेख आदि अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे। स्मरण रहे (NDWBF) प्रकाशन जगत में एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है,जो अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रति वर्ष आयोजित होता हैं। पिछले सालों की तरह इस साल भी विश्व पुस्तक मेला (NDWBF) 1 फ़रवरी से 9 फरवरी 2025 तक भारत मंडपम, (प्रगति मैदान) नई दिल्ली में आयोजित किया गया।जिसका उद्घाटन देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने भारत मंडपम में एक जनवरी को किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा- किताबें पढ़ना एक शौक ही नहीं एक परिवर्तनकारी अनुभव भी है। इस वर्ल्ड बुक फेयर में वैश्विक भागीदारी के साथ इस बार की थीम रिपब्लिक@75 रखी गई। जिसमें रूस को फोकस राष्ट्र के रूप में नामित किया गया है।

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