Digital Griot

कथा में कृष्ण-सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालुद,बोह में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का हुआ विश्राम

दैनिक केसरिया हिंदुस्तान 

दबोह-नगर दबोह में सिद्धेश्वर सरकार धाम हनुमान जी मन्दिर प्रांगण में चल रही 12 फरबरी से 19 फरवरी तक साथ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन गुरुवार को कथा वाचक पण्डित श्री गोपाल कृष्ण जी महाराज(पीठाधीश्वर श्री सिध्देश्वर सरकार धाम दबोह)ने सुदामा चरित्र व सुखदेव विदाई का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए।मित्र एक दूसरे का पूरक होता है।भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी को देखकर रोते हुए अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें उलाहना दिया कि जब गरीबी में रह रहे थे तो अपने मित्र के पास तो आ सकते थे,लेकिन सुदामा ने मित्रता को सर्वोपरि मानते हुए श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा।उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है।सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है।कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया।कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रोता मौजूद थे।कथा वाचक पण्डित श्री गोपाल कृष्ण जी महाराज ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण से मन आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है।भागवत में बताए उपदेशों उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है।सुदामा चरित्र के प्रसंग में कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है।मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे,जो कि मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका सहयोग दे।इस श्री मद्भागवत कथा में पारीक्षत रीमा-अनिल कुशवाह रहे।

WhatsApp
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post