नौशाद अहमद कुरैशी दैनिक केसरिया हिंदुस्तान मो. 9977365001
भूपेंद्र सिंह कराड़िया के यहां ग्राम बिचपुरी में चला रही श्री मद भागवत कथा में आज परम पूजनीय संत श्री हरिशरण महाराज जी ने रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कथा कही, भागवत कथा में मिलती है. इस कथा के मुताबिक, श्रीकृष्ण ने विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी का हरण करके उनसे विवाह किया था.रुक्मिणी विवाह कथा की प्रमुख बातें:रुक्मिणी, श्रीकृष्ण को पसंद करती थीं और उन्हें मन ही मन अपना पति स्वीकार कर चुकी थीं.रुक्मिणी के बड़े भाई रुक्मी, श्रीकृष्ण से शत्रुता रखते थे.रुक्मिणी ने अपनी एक सखी के ज़रिए श्रीकृष्ण को संदेश भिजवाया कि वह उनसे प्रेम करती हैं और उनसे ही विवाह करना चाहती हैं.श्रीकृष्ण को पता चला कि रुक्मिणी का विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी और के साथ हो रहा है, तब उन्होंने रुक्मिणी से विवाह रचा लिया.श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका लाया और उनका विधिपूर्वक विवाह किया.रुक्मिणी को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया था. भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण करके उनसे विवाह किया था. रुक्मिणी, श्रीकृष्ण को पसंद करती थीं और उन्हें मन ही मन अपना पति स्वीकार कर चुकी थीं.
रुक्मिणी के विवाह से जुड़ी कथा:
राजा भीष्मक के पुत्र रुक्म ने अपनी बहन रुक्मिणी का विवाह चेदिराज शिशुपाल से तय करा दिया था.
रुक्मिणी को यह रिश्ता पसंद नहीं आया.
शिशुपाल जब विवाह के लिए द्वार पर आया, तो कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया.इसके बाद श्रीकृष्ण, शिशुपाल और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ.इस युद्ध में द्वारकाधीश (कृष्ण) विजयी हुए.कृष्ण देवी रुक्मिणी को द्वारका ले आए और यहीं उनका विवाह हुआ.भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया.,कथा समापन के बाद प्रसादी भंडारा किया,जिसमे कही भक्तो ने प्रसाद पाकर,आनंद लिया