दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में गुरू का वक्री होना शुभ व अशुभ दोनों ही परिणाम देता है।
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह को देवगुरु कहा जाता है। उन्हें ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि गुरु बृहस्पति सभी नौ ग्रहों में सबसे शुभ माने गए हैं। वे शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि, धर्म, नैतिकता, धन, समृद्धि, वैवाहिक सुख और संतान देने वाले ग्रह माने गए हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होते हैं, वे जीवन में शानदार सफलता, अपार धन, बेहद मान-सम्मान और सुख पाते हैं।
गुरू का वक्री होकर कुंडली में बैठना कहीं न कहीं जातक को अधिक प्रभावीत करता है। उल्टे दिशा में गुरू का चलना जातक के लिए सही नहीं होता है।गुरू के वक्री होने पर कुछ राशियों पर नकरात्मक असर पड़ सकता है।गुरू की वक्री विशेष रूप से वह खगोलीय घटना है जब सौर मंडल में बृहस्पति ग्रह आगे की ओर न बढ़कर पीछे की ओर बढ़ता है। गुरू प्रतिवर्ष दो से तीन बार वक्री चाल चलते हैं।
नवरात्रि में गुरु की चाल बदलने से मिथुन और कर्क सहित कई राशियों की किस्मत चमकने वाली है और मां भगवती के आशीर्वाद से इनके अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे। जो लोग बिजनस करते हैं वे इस फेस्टिव सीजन में खूब पैसा कमाएंगे और जो लोग नौकरी करते हैं उनको ऑफिस में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। उनकी तरक्की होगी और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
मेष राशि के लोगों के लिए गुरू वक्री होना आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालेगा।आपके बनते हुए काम बिगड़ सकते हैं।
