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प्राचीन मंदिर हिरई माता के नाम पर पड़ा हिरापुर गांव का नाम, मंदिर के प्रति है अटूट आस्था,आठ सौ साल पूर्व बसा था हिरापुर गांव,हिरई माता मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग

आशीष शर्मा दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
सनावद-निमाड़ सहित प्रदेश में अपनी ख्याति प्राप्त कर चुका प्रसिद्ध हिरई माता मंदिर को भी पर्यटन स्थल बनाने के लिए मांग उठने लगी है। नगर से करीब 15 किमी दूर सनावद-भीकनगांव मार्ग पर स्थित प्राकृति सौंदर्य के बीच बसागांव हिरापुर करीबन 800 साल पुराना है। यहां हिरई माता का मंदिर भी बना हुआ है,जिस पर क्षेत्र के लोगों की अगाध श्रद्धा है। हिरई माता के नाम से ही गांव का नाम हिरापुर हुआ। हिरापुर गांव को आस्था का गांव कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।जहां धार्मिक स्थल के साथ प्राचीन धरोहर है।यहां हिरई माता का मंदिर आस्था का आयाम है।  यह मंदिर गांव से लगे हुए तालाब किनारे स्थित है। यहां पर मंदिर परिसर के पीछे तालाब का पानी सागर सा प्रतीत होता है जो मंदिर की सुंदरता को काफी हद तक बढाता है मंदिर में विराजित हिरई माता की प्रतिमा के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था यहां मंदिर में बनी हुई है।हिरई माता को निमाड़ क्षेत्र के पंवार, राजपूत आदि समाज कुलदेवी मानते है।क्षत्रिय पंवार वंशीय शासको नें 11 वी शताब्दी मे इस मंदिर का निर्माण कराया था। सरपंच कमलेश भाईडीया ने बताया कि वर्तमान में हिरापुर गांव की कुल जनसंख्या 3200 से अधिक है तथा 800 घरों की आबादी है, जिसमें सभी जातियों के लोग यहां निवास कर रही है।यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन, कृषि, दुग्ध उत्पादन है। यहां कपास, मिर्ची, गेहूँ व चना की खेती लोग बहुतायात में करते हैं। सिंचाई के लिए कुआ तालाब पर आश्रित रहना पड़ता है।किसान बताते हैं कि बरसात अच्छी होने पर तालाब भर जाता है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि हिरई माता मंदिर ग्राम हिरापुर के तालाब के किनारे स्थित है जो प्राकृतिक सौंदर्य का एहसास कराता है। मंदिर परिसर में अभी भी ऐतिहासिक अवशेषों को देखा जा सकता है।वर्तमान मे मंदिर के गर्भगृह में हीरई माता व भगवान शिव मंदिर भी हैं।गांव के लोगों का मानना है कि मंदिर में सच्चे मन और दिल से पूजा कर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मान्यता है कि निःसंतान दंपतियों की मनोकामना हीरई माता के दर्शन से पूरी होती है। मंदिर परिसर मे कई पाषाण प्रतिमाएं रखी हुई है।इसमे भगवान गणेश, विष्णु, दुर्गा माता,शिव राम-सीता की मूर्तियों सहित, हनुमान, कई देवी-देवताओं की मूर्तियां है।इस प्राचीन मंदिर परिसर में  गौरतलब है कि हीरई माता मंदिर परिसर में चौसठ योगिनियों का वास है। लेकिन दुर्भाग्य की बात हे की अब मंदिर की हालत जीर्ण शीर्ण होकर बारिश के पानी से गर्भगृह की छत और दीवारों में भी दरारे पड़ने लग गयी है जिससे मंदिर कभी भी टूट सकता है। जो वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। समस्त क्षेत्रवासियों की मांग अनुरूप मंदिर परिसर में बिजली, पानी, सड़क एवं जीर्णोधार की अति आवश्यकता है। सन 1978 के पूर्व मे मेला लगा करता था लेकिन बदहाल सड़क व  साधनों के अभाव में मेला बंद हो गया था। गांववासियों की मंसा है कि मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाए। व मेलें को फिर से शुरू किया जाए। ताकि मेले के द्वारा कहीं ना कहीं गांव का विकास एवं ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा। यहां पर रोजगार के अवसर भी खुल जाएंगे। साथ ही निमाड़ के लिए गौरव की बात होगी। ऐसा धार्मिक स्थल  व  प्राचीन और दुर्लभ हिरई माता मंदिर बडवाह विधानसभा के हीरापुर ग्राम में स्थित है। गुरुदयाल सेजगाया ने बताया कि पूर्व में भी पुरातत्व विभाग को कई बार पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया हे तथा विकास यात्रा के दौरान ग्राम हीरापुर में पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने स्वयं हिरई माता मंदिर के जीर्णोधार एवं पर्यटन स्थल का दर्जा देने की घोषण की थी। यहां निरीक्षण कर मन्दिर को पर्यटन स्थल का दर्जा देने के लिए आश्वासन भी दिया, लेकिन ग्रामीणों के लिए सभी के आश्वासन थोथे साबित हो रहे हैं। पर्यटक स्थल घोषित नहीं होने से आम लोगों में निराशा व्याप्त है।
48 लाख खर्च, फिर भी हालत बदत्तर
ऐतिहासिक एवं धार्मिक धरोहरों के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा लगभग 48 लाख रुपए खर्च करके मंदिर प्रांगण को सुरक्षित किया गया। परिसर की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षाकर्मी भी नियुक्त किया गया है। वहीं मूर्तियों की सुरक्षा के लिए टीनशेड और मंदिर के चारों और सुरक्षा दीवार बनाई गई है। लेकिन पुरातत्व विभाग ने मंदिर के गर्भगृह की छत व दिवारों का मरम्मत कार्य नहीं कराया जिससे आज ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। गर्भग्रह को अछूत रखा गया। यदि समय रहते इसे संरक्षित करने की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो यह प्राचीन धरोहर नष्ट होने में देर नहीं लगेगी। लंबे समय से पानी के रिसाव के चलते दीवारो में दरा पड़ने लगी है।
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