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सेन्टर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) जिला समिति इकाई के जे एस सीमेंट राजनगर मैहर*एरियर सहित भुगतान – अक्टूबर 2024 से देय नया पुनरीक्षण हासिल करने के लिए जारी रहेगा संघर्ष

दैनिक केसरिया हिंदुस्तान

कानूनी रूप से प्रत्येक 5 वर्ष में किए जाने वाले न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण को 9 वर्ष बाद करने के बाद पिछले 10 माह से प्रदेश की भाजपा सरकार व उद्योगपतियों/मालिकों ने इसे कानूनी दांव पेंच में उलझा दिया था। गत 3 दिसम्बर को माननीय म.प्र. उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने स्थगन समाप्त करने व 10 फरवरी को अंतिम सुनवाई के बाद 21 फरवरी को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अंततः आज श्रमायुक्त कार्यालय द्वारा भुगतान के आदेश जारी किए गये।आदेश में वर्तमान में बनाए गए तीन नए नियोजन के अलावा बाकी सभी अधिसूचित नियोजनों (68 नियोजनों) में 04 मार्च 2024 की अधिसूचना के पुनः प्रभावशील किए जाने का जिक्र है। आदेश में नियोजकों से देय न्यूनतम वेतन का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।

सीटू के राज्य महासचिव प्रमोद प्रधान व राज्य अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी ने इसे सीटू के नेतृत्व में संघर्ष व प्रदेश के मजदूरों की एकजुटता की जीत बताते हुए प्रदेश के लाखों श्रमिकों, आऊट सोर्सिंग तथा सरकारी विभागों व स्थानीय निकायों में कार्यरत लाखों कर्मियों को बधाई दी है। सीटू नेताओं ने कहा है कि प्रदेश सरकार अभी भी मालिकों के हित साध रहा है। इसलिए इस आदेश में भी एरियर सहित भुगतान के स्पष्ट निर्देश नहीं है। ज्ञातव्य है कि अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक एक-एक श्रमिक का 16250 रुपये से 24340 रुपये तक का नुकसान हुआ है। इसे भी डकारने की कोशिश चल रही है। सीटू ने श्रमायुक्त को पत्र लिख मांग की है कि अप्रैल 2024 से ही नहीं बल्कि नवम्बर 2019, जब से यह पुनरीक्षण देय था, से आज तक के एरियर भुगतान किए जाने का आदेश निकाला जाए। साथ ही सीटू ने मांग की है कि अक्टूबर 2024 से देय हो चुके नये न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की प्रक्रिया भी तत्काल प्रारंभ की जाए।

सीटू जिला समिति … इकाई केजेएस सीमेंट राज नगर मैहर के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह महामंत्री राजेश मिश्रा कार्यवाहक अध्यक्ष नीलेश्वर गुप्ता उपाध्यक्ष रणजीत भारत द्विवेदी शैलेंद्र सिंह संदीप सिंह सुनील कुशवाहा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि सीटू के संघर्षों से यह उपलब्धि मिली है। नेताओं ने कहा कि तमाम प्रमाणित तथ्य यह बताते हैं कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी सरकार इसको उलझाए रखना चाहती थी। श्रमायुक्त को सीटू के पत्र के तहत उठाई गई मांगों को तत्काल पूरा कर एरियर सहित भुगतान के आदेश निकालना चाहिए।

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