हरियाणवी गायिका रेणुका पंवार के प्रोग्राम के दौरान पुलिस और तहसीलदार में नोक झोक
VIP एंट्री को लेकर के हुआ बवाल क्षेत्राधिकारी और थाना प्रभारी ने मामले को कराया शांत
एटा महोत्सव एक बार फिर VIP पास और प्रशासन की मनमानी को लेकर चर्चा है हमेशा की तरह इस बार भी आरोप लग रहे हैं कि यह महोत्सव केवल प्रशासन और उनके परिवारों के लिए आयोजित किया जा रहा है जनता को तो बस तमाशवीन बनाकर बाहर छोड़ दिया जाता है जबकि VIP पास अधिकारियों उनके करीबी लोगों और नेताओं के परिवारों के बीच बट जाते हैं आज एटा महोत्सव में हरियाणवी नाइट का आयोजन किया क्या जहां पर रेणुका पवार अमन जाजी हरियाणवी गायको द्वारा आयोजित किया जाना था इस पूरे मामले को तब और हवा मिली जब तहसीलदार और पुलिस के बीच कार्यक्रम में प्रवेश को लेकर के तीखी बहस हो गई
तहसीलदार पुलिस आमने-सामने फिर मौन क्यों
आपको बताते चलें घटना तब हुई जब तहसीलदार अपनी 50 लोगों की टीम के साथ महोत्सव में पहुंचे पुलिस ने जब उन्हें रोका तो एक जवान ने कहा यह 50 आदमी लेकर आए हैं जिस पर तहसीलदार ने जवाब दिया मेरी व्यवस्था है मैं जितने भी लोग लाऊं मैं जिम्मेदार हूं इसके बाद पुलिस प्रशासन थोड़ी देर तक तो विरोध करता रहा लेकिन अंत में मात्र दर्शक बनकर साइड में खड़ा हो गया और तहसीलदार के लोगों को अंदर जाने दिया यह घटना इस बात को साबित करती है की महोत्सव में अधिकारी अपने पद का फायदा उठाते हुए अपनी सुविधा के हिसाब से नियमों को लागू और निरस्त कर सकते हैं
हर बार की तरह इस बार भी महोत्सव में वीआईपी पास के बंटवारे को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं आम जनता और आयोजकों को दरकिनार कर अधिकारियों और उनके परिवारों को विशेष पास दिया जा रहा है पहले प्रदर्शनी कमेटी सभी जनप्रतिनिधियों पत्रकारों और आयोजित कर्ताओं को VIP पास देती थी लेकिन अब यह पास सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों उनके परिवारों नेताओं के करीबियों और कुछ खास लोगों के बीच सीमट गए हैं जनता का मनोरंजन और उनके लिए सुविधा बस नाम मात्र की रह गई है जबकि बड़े कार्यक्रमों में खास लोगों के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है
समय-समय पर एटा महोत्सव को लेकर यह आरोप लगते रहे हैं कि इसे केवल अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए आयोजित किया जाता है इस साल भी VIP पास और प्रशासनिक दावे को लेकर जनता के बीच असंतोष है तहसीलदार और पुलिस के बीच हुई नोंक-झोंक ने यह भी साफ कर दिया कि जब कोई अधिकारी अपने पद का इस्तेमाल करता है तो नियमों की धज्जियां उड़ने लगती हैं तहसीलदार बिना किसी रोक-टोक के जितने भी लोगों को अंदर ले जाने के लिए स्वतंत्र रहे और पुलिस प्रशासन थोड़े से विरोध के बाद वह तमाशाबीन बनकर खड़ा रह गया इस पूरे घटनाक्रम में साफ हो गया कि एटा महोत्सव अब जनता के लिए नहीं बल्कि प्रशासन उनके परिवारों और कुछ खास नेताओं के लिए रह गया है आम लोग बाहर खड़े इंतजार करते रह जाते हैं जबकि भीतर अधिकारी और उनके करीबी महोत्सव का पूरा मजा लेते हैं जब यह सवाल है कि क्या प्रशासन VIP पास के बंटवारे को लेकर कोई पारदर्शिता लगाएगी या फिर जनता हर साल की तरह सिर्फ तमाशबीन बनी रहेगी।