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महान व समृद्धि देश के निर्माण के लिए स्वस्थ प्रजनन दर आवश्यक, भारत पर घटती आबादी का खतरा विषय पर चिंतन

 

जनसंख्या किसी देश के विकास में बाधक नहीं बल्कि सड़क बनती है  हरिओम वर्मा

दैनिक केसरिया हिंदुस्तान, अनुप मिश्रा

धार । भारत पर घटती आबादी का खतरा विश्व पर स्वदेशी शोष संस्थान तथा स्वदेशी जागरण मंच के संयुक्त तत्वाधान में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता स्वदेशी जागरण मंच के प्रांत संयोजक हरिओम वर्मा रहे। इस परिचर्चा में श्रवण जी गौर, प्रहलाद सिह जी के साथ एक स्वस्थ परिवार के समग्र विकास को चिंतन हुआ।
स्वदेशी जागरण मंच मालवा प्रांत के संयोजक हरिओम वर्मा ने बताया कि गत पांच दिन पूर्व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉक्टर मोहनराव भागवत जी एवं सतीशकुमार जी अ०भा०सह संगठक स्वदेशी जागरण मंच द्वारा देश की घटती जनसंख्या वृद्धि दर के खतरे विषय पर उद्बोधन दिया था ।
इसी विषय कि परिचर्चा में हरिओम वर्मा ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच की शोध इकाई स्वदेशी शोध संस्थान द्वारा 3 वर्षों के अनुसंधान के तहत देश व विदेश में प्रजनन दर उनके विकास के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट में विश्व डेमोग्राफी मे भारत की घटती प्रजनन दर पर चिंता व्यक्त की गई है। घटती आबादी हमारे परिवार का तो विघटन करेगी साथ ही हमें आर्थिक महाशक्ति व स्वावलंबी होने के सपनों को भी पूरा नहीं होने देगी।
वर्मा ने कहा कि मधुमेह नियंत्रण का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां बड़ी हुई शकंरा स्तर के नियंत्रण के लिए इंसुलिन तथा अन्य दवाओ का सेवन करना जरूरी है तो शकंरा का स्तर कम होने पर शकंरा का सेवन की जरूरत हमें लगती है उन्होंने बताएं कि 1947 में जब प्रजनन दर 6 तथा 1960 में 4 से अधिक थी तब जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता रही थी लेकिन आज जब प्रजनन दर आवश्यकता 2.1 के स्तर से नीचे जा रही है तो इसे पुन: बढ़कर 2.1से ऊपर ले जाने की आवश्यकता है। चीन रूस कोरिया में विवाह की आयु तथा प्रजनन का उदाहरण देते हुए उन्हें कहा की जनसंख्या किसी भी देश के विकास में बाधक नहीं अपितु साधक बनती है।
इसी अवसर पर श्रवण जी गौर धार विभाग संयोजक ने बताया कि घटती प्रजनन दर परिवार के समग्र विकास को रोकती हैं भारत के विकास में परिवार नामक संस्था का अपना बड़ा महत्व रहा है प्रजनन दर कम होने के चलते घर में केवल एक या दो बच्चों के जन्मों के कारण हमारे रिश्ते समाप्त होने की कगार पर खड़े हैं परिवार में चाचा मामा मामी मौसा मौसी बुआ,फूफा जैसे खून के रिश्तों में अब धीरे-धीरे लिप्त होने की कगार पर खड़े हैं बच्चों की संख्या कम होने से नौकरी व अन्य व्यवसाय से बच्चों के बाहर चले जाने पर बड़े बुजुर्गों की देखभाल करने की पद्धति धीरे-धीरे कम होती जा रही है परिणाम स्वरुप भारत में वृद्ध आश्रमों की परंपरा बढ़ने लगी है।
धार विभाग संयोजक श्रवण गौर एवं धार विभाग के समस्त कार्यकृताओं ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच आने वाले समय में परिवार को बचाने, भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने हेतु इस विषय को लेकर जन जागरण अभियान चलाएगा । उक्त जानकारी प्रचार प्रसार प्रमुख अनुप मिश्रा ने दी ।

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