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मुलायम ने राजनीतिक कौशल से जनता के बीच बनाई थी गहरी पेंठ

मुलायम ने राजनीतिक कौशल से जनता के बीच बनाई थी गहरी पेंठ

 

केसरिया हिन्दुस्तान मोहित यादव लव 

 

– 22 बर्ष पहले सपाई दुर्ग को भाजपा ने विरोधियों को साथ ढहाया था दुर्ग

 

 

मैनपुरी। जनपद मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट को सपा का सबसे मजबूत गढ़ कहा जाता है। करहल को मजबूत गढ़ बनाने में दिवंगत मुलायम सिंह यादव की सबसे बड़ी भूमिका थी। अपने राजनीतिक कौशल से उन्होंने क्षेत्र की जनता में तो गहरी पैठ बनाई ही, विरोधियों को भी दोस्त बनाकर पार्टी को मजबूत किया। करहल के सपाई दुर्ग को भाजपा ने एक बार उनके विरोधियों का साथ लेकर ही ढहाया था। वर्ष 2002 में भाजपा ने बाबू दर्शन सिंह यादव के भाई सोबरन सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया और सपा को पराजित कर दिया था। तब मुलायम सिंह यादव ने दर्शन सिंह परिवार से फिर दोस्ती की और सोबरन सिंह को सपा में शामिल कर लिया। इसके बाद सपा ने सोबरन सिंह को लगातार तीन चुनावों में प्रत्याशी बनाया और गढ़ को मजबूत कर लिया।

ज्ञात हो कि वर्ष 2022 में सोबरन सिंह यादव ने खुद अखिलेश यादव से अनुरोध कर उनको यहां से लड़ाया था। मुलायम सिंह यादव ने करहल के जैन इंटर कॉलेज में पढ़ाई की है। बाद में वह इसी कॉलेज में ही शिक्षक रहे। करहल सीट पर मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले चौ. नत्थू सिंह तीन बार विधायक रहे थे। राजनीति में जैसे- जैसे मुलायम सिंह यादव का कद बढ़ा मैनपुरी के चुनाव पर उनका प्रभाव बढ़ता गया। वर्ष 1992 में सपा के गठन के बाद उनकी पार्टी 1993 के विधानसभा चुनाव में पहली बार उतरी थी। उस चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने तीन बार के विधायक बाबूराम यादव को प्रत्याशी बनाया था।

 

सपा के हारने पर मुलायम ने पलट दी थी बाजी

बाबूराम यादव यहां से विधायक बने और उसके बाद वर्ष 1996 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। वर्ष 2002 में समाजवादी पार्टी ने बाबूराम यादव के बेटे अनिल यादव को प्रत्याशी बनाया। भाजपा ने उनके सामने सोबरन सिंह यादव को उतारा। सोबरन सिंह यादव क्षेत्र के प्रमुख चेहरे के तौर पर पहचाने जाने वाले बाबू दर्शन सिंह यादव के सगे भाई हैं। दर्शन सिंह यादव के परिवार और मुलायम सिंह यादव के परिवार के रिश्तों में लंबे समय से खटास चली आ रही थी। चुनाव में भाजपा और सपा ने जमकर ताकत झोंकी थी और रोमांचक मुकाबला हुआ था। परंतु अंत में सोबरन सिंह यादव 925 मतों के अंतर से जीत हासिल करने में सफल रहे थें। उस चुनाव में सोबरन सिंह यादव 50031 और अनिल यादव को 49106 वोट मिले थे।

 

शादी समारोह में पूरे परिवार के साथ शामिल हुए

करहल से चुनाव हारने के बाद मुलायम सिंह यादव ने भाजपा की ताकत बढ़ने से रोकने की रणनीति बनाई। कुछ दिनों बाद सोबरन सिंह यादव के परिवार में एक शादी समारोह में मुलायम सिंह यादव अपने पूरे परिवार के साथ शामिल हुए और रिश्तों पर जमी बर्फ पिघला दी। इसके बाद सोबरन सिंह यादव भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए।

 

करहल में हो रहीं मुलायम के राजनीति कौशल की चर्चा

सपा ने वर्ष 2007, 2012 और 2017 में सोबरन सिंह यादव को ही प्रत्याशी बनाया और तीनों चुनावों में जीत हासिल कर करहल सीट को पार्टी के मजबूत गढ़ में परिवर्तित कर दिया। वर्ष 2022 में सपा मुखिया अखिलेश यादव इसी सीट से चुनाव लड़कर विधायक बने। इसके बाद उन्होंने सोबरन सिंह यादव के पुत्र मुकुल यादव को एमएलसी बनाया। अब सोबरन सिंह यादव उपचुनाव में सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव के लिए प्रचार में जुटे हैं। क्षेत्र में चल रही चुनावी चर्चाओं में मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक कौशल का यह किस्सा भी गूंज रहा है।

 

 

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