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सोमवार से 118 वे पिरानपीर- शीतला माता मेले का शुभारंभ

आशीष शर्मा दैनिक केसरिया हिंदुस्तान

निमाड़ अपनी लोक कलाओं, निमाड़ी संस्कृति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इसके अलावा यहां कई ऐसी गतिविधियां होती हैं, जो पूरे देश में एक मिसाल हैं. उन्हीं में से है, सनावद में लगने वाला निमाड़ का प्रसिद्ध पीरानपीर शीतला माता मेला. यह मेला हिंदू-मुस्लिमों के बीच सद्भावना की मिसाल है.एक ही स्थान पर दोनों समुदाय मिलजुलकर मेले को एक त्योहार के रूप में मनाते हैं. मेले के दरमियान होने वाले आयोजनों में शामिल होते हैं. नगर पालिका मेला समिति द्वारा लिए गए निर्णय अनुसार इस वर्ष 25 नवंबर सोमवार से 118 वे पिरानपीर- शीतला माता मेले का शुभारंभ किया जाना है। जिसमें मेला स्थल स्थित टेकरी पर पीरानपीर बाबा की दरगाह पर संदल और चादर पेश कर तथा शीतला माता मंदिर में पूजन और चुनरी ओढ़ाने के साथ ही मेला परिसर मे भूमि पूजन किया जाना है।मेला समिति अध्यक्ष अनिल बारे और उपाध्यक्ष जय शिंदे मुताबिक समिति के प्रस्तावित कार्यक्रमों के तहत 37 दिवसीय इस मेले के अन्य कार्यक्रम आयोजन में 3 दिसंबर मंगलवार को यज्ञ एंव पूर्णाहूती तथा 12 दिसंबर गुरुवार को सरकारी डेग लुटाने की प्रथा निभाई जाना है। वही इस क्रम में 14. दिसंबर शनिवार को भगवती जागरण, 21 दिसंबर शनिवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, 28 दिसंबर शनिवार को कव्वाली तथा 31 दिसंबर मंगलवार को आतिशबाजी तथा मेला समापन किया जाना प्रस्तावित है।

मेला आयोजन संबंधी आवश्यक व्यवस्थाएं

कृषि उपज मंडी के प्रांगण में आयोजित होने वाले इस मेले में मेला समिति और मेला व्यापारी संघ के आपसी सामंजस्य से जगह को लेकर कुछ परिवर्तन किये गये है । ताकि बाहर से आने वाले दुकानदारों को व्यस्थित रूप से दुकान आवंटित हो सके। वही मेले में लगने वाली दुकानों से निर्धारित 20 रुपए वर्ग फीट की स्वीकृत दर से ही नियुक्त ठेकेदार द्वारा वसूली की जाना है। इससे अधिक की वसूली की शिकायत पर कार्यवाही के अधिकार मेला समिति को रहेंगे। उल्लेखनीय कि बीते वर्ष मेले में बाहर से आए व्यापारियों के साथ जमीन आवंटन में दोयम दर्जे का व्यवहार , आवंटित जगह की खरीद बिक्री , मेला प्रारंभ दिनांक के चार-पांच दिवस बाद प्रकाश व्यवस्था होने, अवैध पार्किंग , एवं दुकानदारों से मनमानी बिजली दर वसूल करने , मेले में शुद्ध जल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होना तथा सार्वजनिक सुविधाघरों का अभाव जैसी शिकायतें प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक खबरों में बनी रही है । इस पृष्ठभूमि में इस बार मेला आयोजन समिति से उम्मीद है कि ऐसी विसंगतियों पर अंकुश होकर इस बार की व्यवस्थाऐ मेले की मर्यादा अनुरूप सुनिश्चित हो सकेगी।

मेला व्यवस्था का जिम्मा मेला समिति को

इंदौर-इच्छापुर हाईवे से लगी कृषि उपज मंडी के पास पीरानपीर-शीतला माता मंदिर टेकड़ी है, इस पहाड़ी पर जहां एक ओर मुस्लिम समाज के पीर बाबा ( हजरत जमालुद्दीन शाह कादरी रेहमतुल्ला अलैह) की मजार है। वहीं दूसरी ओर सनातन शीतला माता का प्राचीन मंदिर स्थापित है। जहां पर साल भर विभिन्न धार्मिक आयोजन होते हैं। इस मेले की शुरुआत 1906 पीरानपीर बाबा की बरसी पर फकीरों द्वारा दरगाह के पास मेला लगाने से हुई थी। बाद में होल्कर रियासत के राजस्व मंत्री राय बहादुर नानकचंद्र ने 1921 में पहली बार यहां टेकरी की तलहटी में नियमित मेला लगाए जाने का आदेश जारी किये थे। तब से नियमित लगने वाले इस मेले में सन 1987 से पीरानपीर बाबा के साथ शीतला माता का नाम जुड़ने से यह हिंदू – मुस्लिमों के बीच सद्भावना की मिसाल बना. दोनों समुदाय मिलजुलकर मेले को एक त्योहार के रूप में मनाते हैं एंव मेले के दरम्यान होने वाले आयोजनों में शामिल होते हैं. इस परंपरा में कृषि उपज मंडी की भूमि पर लगने वाले मेले की व्यवस्था का जिम्मा नगर पालिका परिषद की मेला आयोजन समिति का होता हैं।

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