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बाल विवाह मुक्त भारत का आगाज

 

मनोज सिंह

टीकमगढ़ / भारत सरकार द्वारा नई दिल्ली में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत के साथ ही जिला प्रशासन व
कृषक सहयोग संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में जिले भर में रंगोली, चित्रकला, कैंडिल मार्च, रैलियों व शपथ ग्रहण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें चयनित 50 गांवों में वालिंटियर के सहयोग से लगभग 7680 लोगों ने सहभागिता की।
गौरतलब है कि कृषक सहयोग संस्थान बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 400 से भी ज्यादा जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी सदस्य है।
बड़ागांव खुर्द में महिला बाल विकास की परियोजना अधिकारी सुश्री स्वेता चतुर्वेदी व महिला थाना प्रभारी श्रीमती सुषमा श्रीवास्तव ने स्कूली बच्चों, महिलाओं और पंचायत प्रतिनिधियों व अन्य को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। जिले में जगह-जगह हुए कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) ने भी भागीदारी की और बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई।
यह कार्यक्रम देश को बाल विवाह से मुक्त करने के लिए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान के समर्थन में किया गया, जिसका उद्घाटन 27 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने किया। इस दौरान उन्होंने पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस मौके पर बाल विवाहों की सूचना व शिकायत के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी शुरू किया गया।
बाल विवाह मुक्त भारत के इस राष्ट्रव्यापी अभियान और जमीन पर इसके असर की चर्चा करते हुए कृषक सहयोग संस्थान द्वारा एक्सेस टू जस्टिस के जिला समन्वयक अक्षय मिश्रा ने कहा कि, “प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में बाल विवाह जैसी कुरीति को खत्म करने के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया अभियान इस बात का सबूत है, कि सरकार इस सामाजिक बुराई की गंभीरता से अवगत है। आज भी देश में 23 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह होता है, जो न सिर्फ जीवनसाथी चुनने के उनके अधिकार का हनन है, बल्कि इससे लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ रोजगार और आर्थिक निर्भरता की उनकी संभावनाओं पर भी बेहद बुरा असर होता है। सरकार की योजना इस अभियान में सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने की है और ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन होने के नाते हम इसमें पूरी तरह साथ हैं। वर्षों से बाल विवाह के खिलाफ काम करने के नाते हम भली भांति जानते हैं कि समग्र और समन्वित प्रयासों के बिना यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती। लेकिन अब हमें विश्वास है कि सरकार और नागरिक समाज के साझा प्रयासों से भारत 2030 से पहले ही बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल कर सकता है।”
इस अवसर पर एक्सेस टू जस्टिस के लोकेंद्र कुशवाहा, महिला पर्यवेक्षक श्रीमती शिवानी खरे, सहित तमाम महिला कर्मचारी उपस्थित रही।

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