अध्यक्ष की कुर्सी ना चली जाए इस डर से नही बनाये सदस्य और ना ही बनाए नियम जिससे हो सके चुनाव ऐसे है प्रेस क्लब ग्वालियर के कारनामे
दैनिक केसरीया हिंदुस्तान
ग्वालियर हम आपके बीच आज एक नई और अनोखी बात लेकर आए यह बात पत्रकार और पत्रकारता के लिए बहुत जरूरी है जरूरी इसलिए कि जब हमारे लिए बनाई पत्रकार के लिए कोई योजना बनी हो और उसका लाभ अगर पत्रकार नहीं ले पा रहा तो इससे बड़ा दुर्भाग्य पत्रकार का हो नहीं सकता यह बात में इसलिए कह रहा हूं कि ग्वालियर प्रेस क्लब मैं चल रही अध्यक्ष की लड़ाई में एक यूट्यूब चैनल को इंटरव्यू देते हुए प्रदीप तोमर ने बताया कि जो कार्यकारिणी है जिसमें में रजिस्टर्ड सात सदस्य हैं जबकि कल एक इंटरव्यू में राजेश शर्मा वर्तमान प्रेस क्लब अध्यक्ष ने बताया कि 40 सदस्यों की टीम है और इस संस्था के अध्यक्ष के लिए चुनाव हेतु किसी भी पत्रकार की वोटिंग की आवश्यकता नहीं है उन्होंने बताया कि इसमें सिर्फ सात सदस्य टीम ही चुनकर अध्यक्ष बनाती है 2015 से अभी तक प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेश शर्मा थे अब मुझे सदस्यों के द्वारा चुनकर अध्यक्ष बनाया है और मैं अपना कार्य कर रहा हूं उस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि हमारे इसके बायोलॉज में कहीं भी किसी पत्रकार को वोटिंग का अधिकार नहीं है हम आपको बता दें कि यह प्रेस क्लब की नीति ऐसी बनाई गई जैसे उत्तर कोरिया का तानाशाह की नीति है उसका लाभ उसके पिता ने उत्तर कोरिया पर शासन किया उसके बाद किम जॉन ने किया इसी तर्ज पर यह समिति बनाई गई और इसमें कांट्रेक्ट नामा मोखादी में साइन हुआ कि हर दो वर्ष में हम आपस में अध्यक्ष बनेंगे लेकिन राजेश शर्मा प्रेस क्लब अध्यक्ष की नियत खराब होने की वजह से अभी तक कोई अध्यक्ष नहीं बन पाया और वह स्वयं ही अध्यक्ष आज भी है हम आप को बताते हैं आखिर शासन ने प्रेस क्लब की भूमि भवन क्यों उपलब्ध कराया इसका कारण पत्रकार है पत्रकारों की बात हो सके पत्रकारों की बैठने की व्यवस्था हो सके पत्रकारों की एक खुद की व्यवस्था हो इसलिए बनाया लेकिन इस पर बैठे पत्रकारिता के और पत्रकारों के ठेकेदार जो कि पत्रकारों की बात ना करते हुए सिर्फ अपनी जेब भरने का काम किया मैं पूछना चाहता हूं उन लोगों से प्रेस क्लब में जितने भी संगठनों के कार्यक्रम हुए और प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई उनका भी कोई हिसाब किताब होगा जब यूट्यूब चैनल के पत्रकार उन्होंने पूछा तो प्रदीप तोमर ने कहा कि श्री शर्मा को जब भी पूछो तो वह लड़ने को तैयार हो जाते हैं आखिर हिसाब एक दिन तो करना ही पड़ेगा ऐसी अनेक बातें हैं संस्थान का बायोलॉज मंगाकर एक प्रेस वार्ता की जाएगी और उसमें स्पष्ट किया जाएगा कि पत्रकार है तो प्रेस क्लब पत्रकारों के लिए बनाया गया है या प्रेस क्लब की चाबी अपनी जेब में रख रखकर रुतबा झड़ने के लिए प्रेस क्लब बनाया गया है
प्रेस मीडिया पत्रकार कल्याण संघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते और एक पत्रकार होने के नाते प्रेस क्लब की नीति और रीति दोनों पत्रकारों के हित में होना चाहिए जैसे बार काउंसलिंग के चुनाव किए जाते हैं उसी तर्ज पर प्रेस क्लब का चुनाव किया जाए जिससे हर एक पत्रकार को आगे बढ़ने का मौका मिल सके और वह अपनी काबिलियत को पत्रकार्यताओं के लिए दिखा सके यही शायद हर पत्रकार चाहता है