आशीष शर्मा दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
सनावद-मेला जहां धर्मों व समाज के साथ दिलों को भी जोड़ने का काम करता है। नगर के पास पहाड़ी की तलहटी पर लगने वाला पीरानपीर-शीतला माता मेला इस बात की मिसाल है। प्राचीन समय से यह मेला हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है। यह इस प्राचीन मेले का 118वां वर्ष है। इस वर्ष मेला समिति के प्रस्तावित मुख्य कार्यक्रम में गुरुवार को सरकारी देग का आयोजन किया गया। इसकी तैयारी में परंपरानुसार दरगाह की तलहटी स्थित देग में डेढ़ क्विंटल चावल, गुड़, देशी घी के साथ सूखे मेवे काजू, बादाम, खारक आदि सामग्री पकाई गई। भोग लगाने के बाद लुटाने का हुक्म देने पर उसे लूटने के लिए शहर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। लोगों ने बर्तनों में मीठे चावल की प्रसादी लूटी। इसकेअलावा मन्नत पूरी होने पर कई लोग आयोजन भी करते हैं। सभी लोग ग्रहण कर सके इसलिए मीठे चावल की प्रसादी बनती है। यह देग लुटाई हजरत जमालुद्दीन शाह बाबा की प्रसादी है। इसे ग्रहणकरने की होड़ रहती है। बड़ी संख्या में आए श्रद्धालु कुछ ही क मिनट में सामग्री ले जाते हैं। गर्म से होने के बाद भी आज तक किसी प्रकार की दुर्घटना इस आयोजन में नहीं हुई है।
अजमेर शरीफ के बाद सनावद में ही होता है आयोजन
इस परंपरा में मेले में दरगाह पीरानपीर के उर्स पर आस्था व शाकाहारी आहार का अद्भुत मेल देखने को मिला। देश में अजमेर शरीफ के बाद केवल नगर में ही देग लुटाने की परंपरा होती है। इस दौरान इंदर बिरला, अनिल बारे, शेख साकेरिन, जर्रार पेंटर, हारून बेग सहित बड़ी संख्या में मुस्लिम समाजजनों के साथ अन्य समाज के लोग व नपा कर्मचारी-अधिकारी मौजूद थे।