नितिन जौहरी दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
सीहोर-कथा के छठवें दिन सारे रिकार्ड टूटे, लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु कुबेरेश्वरधाम से प्रतिदिन होगा एक बेटी का विवाह, हर साल में 365 कन्याओं का विवाहजिसका नेटवर्क शिव से रहता है, उसका नेटवर्क सबसे छूट जाता हैकथा में आने वाले श्रद्धालुओं की भोजन सेवा में लगे चार हजार से अधिक सेवादार आज सुबह कथा आठ बजे और बाबा की आरती सुबह छह बजे 20 क्विंटल से अधिक शुद्ध घी के हलवे का भोग लगाकर किया वितरणहर रोज 100 क्विंटल से अधिक भोजन प्रसादी दिन-रात वितरणपिछले कई दिनों से नगर इकाई के द्वारा रेलवे स्टेशन पर किया जा रहा भोजन भंडारे का आयोजनचार स्थानों पर किया जा रहा निशुल्क पोहे का वितरण, धाम पर 10 क्विंटल से अधिक नश्ते का किया वितरण जिस पर भोले बाबा का हो आशीर्वाद, उसका क्या दुनिया के कष्टों से सरोकार, जिसका नेटवर्क भगवान शिव से रहता है, उसके नेटवर्क सबसे टूट जाते है, लोग कहते है धाम पर मोबाइल से बात नहीं हो पाती है, यहां पर कंकर-कंकर में शंकर है और शिव से संबंध बनाने के लिए पूरी आस्था के साथ शिव पर भरोसा करों। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ कुबेरेश्वरधाम पर जारी सात दिवसीय भव्य रुद्राक्ष महोत्सव में कथा का श्रवण करने आए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को संबोधित करते अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी और मनुष्य की प्रवृत्ति एक जैसी होती है। जैसे मधुमक्खी पुष्पों से रस लाकर छत्तें में जमा करती है और वैसे ही मनुष्य जोड़ने की प्रक्रिया में उम्र भर लगा रहता है, लेकिन एक दिन सबकुछ हाथ से निकल जाता है। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि कुबेरेश्वरधाम रुद्राक्ष महोत्सव साल में एक बार भव्य आयोजन करता आ रहा है, जिसके कारण यहां पर सामूहिक रूप से विवाह सम्मेलन करने में परेशानी आएगी, लेकिन विठलेश सेवा समिति के द्वारा धाम पर प्रतिदिन एक कन्या का विवाह किया जाएगा। साल में करीब 365 से अधिक कन्याओं का निशुल्क विवाह किया जाएगा और कन्यादान भी किया जाएगा।पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा है। श्रद्धालुओं का जुनून इस कदर है कि बूढ़े लड़खड़ाते कदम भी एक किलोमीटर का सफर खुशी-खुशी तय कर रहे हैं। कथा खत्म होने के बाद लाखों श्रद्धालु अपने घर तक पहुंचने के लिए तमाम कष्ट सहन कर रहे हैं। हजारों श्रद्धालु ऐसे हैं जो महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश ही नहीं हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश से कथा सुनने आ रहे हैं। वे रात को पंडाल में ही रात गुजार रहे हैं।