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तीस वर्षों की भारत देश सेवा के बाद गाँव लौटे AIG सुबेदार ठाकुर जितेंद्र सिंह सिसोदिया का भव्य स्वागत*

दैनिक केसरिया हिंदुस्तान दिनेश वर्मा

घटिया-तीस वर्षों तक भारतीय सेना में सेवा देकर देश की रक्षा करने वाले AIG सुबेदार ठाकुर जितेंद्र सिंह सिसोदिया 2 मार्च को उज्जैन रेल्वे स्टेशन पहुंचे तो गांव वासीयों द्वारा रेल्वे स्टेशन पर बहुत ही बेहतरीन जोरदार स्वागत अभिनंदन किया फिर अपने पैतृक गाँव ठिकाना उज्जैनिया के लिए रेल्वे स्टेशन से वाहन रैली निकाली जहां जगह जगह मंच लगाए गए भूतपूर्व भारतीय सैनिक संगठन के सैनिक ठाकुर सज्जन सिंह,मोहन सिंह,निर्भय सिंह, विक्रम सिंह,शेर सिंह,विजयपाल सिंह, ऊंकार सिंह भुर सिंह सहित सेंकड़ों भारतीय सैनिकों द्वारा अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा उज्जैन किसान एकता संघ उज्जैन संभाग अध्यक्ष कमल सिंह पंवार विरेन्द्र सिंह सिसौदिया करणी सेना परिवार अध्यक्ष लोकेन्द्र सिंह पंवार राजपाल सिंह राठौड़ व उपस्थित सेंकड़ों करणी सैनीको द्वारा एवं अन्य संगठनों फोटो ग्राफर लोकेन्द्रसिंह,प्रशंसकों शुभचिंतकों द्वारा जगह जगह पर फोजी जितेन्द्र सिंह सिसौदिया का स्वागत अभिनंदन किया। जानकारी देते हुए किसान एकता संघ उज्जैन संभाग अध्यक्ष कमल सिंह पंवार द्वार बताया गया कि जितेंद्र सिंह सिसोदिया ने सेना में अपने तीन दशकों की सेवा के दौरान अनगिनत चुनौतियों का सामना किया। कभी बर्फीली पहाड़ियों पर, कभी तपते रेगिस्तान में, तो कभी दुश्मन की गोलियों के सामने—हर परिस्थिति में वे अडिग रहे। उन्होंने कई सैन्य अभियानों में भाग लिया, सीमा पर दुश्मनों का सामना किया और अपने देशवासियों साथियों गांववासियों के लिए प्रेरणास्रोत बने। वे केवल एक सैनिक नहीं, बल्कि मातृभूमि के सच्चे रक्षक हैं, जिन्होंने अपने परिवार और सुख-सुविधाओं को पीछे छोड़कर राष्ट्र सेवा को सर्वोपरि रखा। गाँव पहुंचने पर सुबेदार ठाकुर जितेन्द्र सिंह सिसौदिया के स्वागत के लिए आए आस पास के गांवों सहित हजारों लोगों द्वारा फुल मालाएं पहनाकर पुष्प वर्षा कर स्वागत अभिनंदन किया और गाँव के बड़े बुजुर्गो माताओं-बहनों परिजनों शिक्षकों गुरुजनों ने आशीर्वाद दिया। जितेंद्र सिंह सिर्फ अपने परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गाँव के लिए आदर्श हैं। उनके संघर्ष और सेवा ने युवाओं को प्रेरित किया है फोजी जितेन्द्र सिंह ने कहा कि “देश सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।” उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा सम्मान धन या पद से नहीं, बल्कि सेवा और त्याग से मिलता है।

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